बिरसा मुण्डा का जीवन | Birsa Munda Biography in hindi
- बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में हुआ था
- इनका जन्म वर्तमान झारखण्ड राज्य के रांची (अब खूंटी) जिले के तमाड़ थानांतर्गत उलिहातू नाम के गाँव में हुआ था।
- इनके पिता का नाम सुगना मुंडा एवं माता का नाम कदमी मुंडा था।
- बिरसा के बचपन का नाम दाऊद मुंडा था।
- इनके सबसे बड़े भाई का नाम कोनता मुंडा था।
- बाद में बिरसा मुंडा के माता पिता चालकद गाँव में जाकर बस गए।
- चालकद ग्राम आगे चलकर बिरसा के अनुयायियों का तीर्थ स्थल बन गया।
- बिरसा मुंडा की शिक्षा-दीक्षा पूर्वी सिंहभूम चाईबासा में हुई’।
- बिरसा के आरंभिक शिक्षक का नाम जयपाल नाग तथा इनके धार्मिक गुरु का नाम आनंद पांडेय था।
Birsa Munda Biography in hindi
Birsa munda ka jivan parichay (बिरसा मुण्डा का जीवन परिचय)
- आंतरिक शुद्धि के लिए बिरसा ने जर्मन मिशन द्वारा ईसाई धर्म को अपना लिया।
- परन्तु इससे उनकी आत्मा को संतुष्टी नहीं मिली।
- अतः उन्होंने ईसाई धर्म का त्याग कर पुनः अपने पूर्वजों के धर्म में लौट गए।
- 29 वर्ष की आयु में सन 1895 ई0 में बरसात की एक रात उन्हें एक नए धर्म के प्रतिपादन की अंतःप्रेरणा मिली।
- उन्हें यह प्रेरणा उनके आराध्य देवता “सींग बोंगा” से मिली।
- उन्होंने अपने अनुयायियों से अनेक बोंगा (देवी-देवताओं) के समक्ष बलि देने की परम्परा का परित्याग कर एक ही परमेश्वर “सींग-बोंगा” की आराधना करने का सन्देश दिया।
- उन्होंने अपनेआपको सिंगबोंगा का दूत घोषित किया।
- इस सम्प्रदाय में दीक्षित होनेवाले को पवित्र एवं नैतिक जीवन व्यतीत करना पड़ता था।
- उन्हें हड़िया समेत सभी प्रकार के नशीले द्रव्यों का सेवन तथा मांस भक्षण का परित्याग करना पड़ता था।
- उन्हें जनेऊ धारण करना एवं साफ़ सुथरा रहना पड़ता था।
- बिरसा का सन्देश लोगों में काफी लोकप्रिय हो गया एवं उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी।
- उनके अनुयायी उन्हें एक नया पैगम्बर, भगवान् अथवा “धरती आबा” मानने लगे।
- 1893-94 में बिरसा ने वन विभाग द्वारा ग्राम की बंजर जमीनों को अधिग्रहित करने के विरुद्ध आंदोलन में भाग लिया।
- 30 मई को को रांची जेल में हैजा होने के कारण बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई।